डिजिटल भुगतान की दुनिया में एक नया मोड़ आया है। यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) पर कुछ लेनदेन के लिए शुल्क लगाने की बात हो रही है। यह खबर कई लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। आइए जानें कि यह शुल्क क्या है, किसे देना होगा, और क्या आम उपयोगकर्ताओं को इससे प्रभावित होना पड़ेगा।
नए नियम क्या हैं?
1 अप्रैल, 2023 से, कुछ यूपीआई लेनदेन पर 1.1% का शुल्क लगाया जा रहा है। यह शुल्क सिर्फ व्यापारियों को देना होगा, जो प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) जैसे मोबाइल वॉलेट के माध्यम से 2,000 रुपये से अधिक की राशि प्राप्त करते हैं।
क्या आम लोगों को शुल्क देना होगा?
नहीं, आम उपयोगकर्ताओं को कोई शुल्क नहीं देना होगा। यूपीआई के माध्यम से किए जाने वाले सामान्य लेनदेन अभी भी मुफ्त हैं। यह शुल्क सिर्फ व्यापारियों पर लागू होता है, जो बड़ी राशि प्राप्त करते हैं।
यह शुल्क किस पर लागू होता है?
यह शुल्क सिर्फ पीपीआई के माध्यम से किए गए 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर लागू होता है। पीपीआई में डिजिटल वॉलेट और प्रीपेड कार्ड शामिल हैं।
बैंक खातों के बीच लेनदेन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
बैंक खातों के बीच सीधे किए जाने वाले यूपीआई लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। चाहे आप किसी दोस्त को पैसे भेज रहे हों या किसी दुकान पर भुगतान कर रहे हों, यह लेनदेन मुफ्त रहेगा।
लोगों की प्रतिक्रिया क्या है?
एक सर्वेक्षण के अनुसार, 75% यूपीआई उपयोगकर्ता कहते हैं कि अगर लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो वे यूपीआई का उपयोग बंद कर देंगे। यह दर्शाता है कि लोग मुफ्त डिजिटल भुगतान सेवा को पसंद करते हैं।
यूपीआई की लोकप्रियता
यूपीआई भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में, यूपीआई लेनदेन की संख्या 131 अरब तक पहुंच गई, जो पिछले साल की तुलना में 57% अधिक है। कुल लेनदेन मूल्य 199.89 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
व्यापारियों पर प्रभाव
नए नियम के तहत, व्यापारियों को 2,000 रुपये से अधिक के पीपीआई लेनदेन पर 1.1% का शुल्क देना होगा। यह शुल्क अलग-अलग सेवाओं के लिए 0.5% से 1.1% तक हो सकता है। उदाहरण के लिए, ईंधन भुगतान पर 0.5%, सुपरमार्केट भुगतान पर 0.9%, और बीमा, म्यूचुअल फंड, सरकारी और रेलवे भुगतान पर 1% शुल्क लागू होगा।
शुल्क से बचने के तरीके
यदि आप एक उपभोक्ता हैं, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आप अपने बैंक खाते से सीधे यूपीआई लेनदेन कर सकते हैं, जो मुफ्त रहेगा। व्यापारियों के लिए, छोटे लेनदेन (2,000 रुपये से कम) पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
सरकार और नियामकों का रुख
भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) यूपीआई को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए नियमों पर विचार कर रहे हैं।
भविष्य में क्या हो सकता है?
एनपीसीआई के प्रमुख दिलीप असबे के अनुसार, भविष्य में बड़े व्यापारियों पर एक छोटा और उचित शुल्क लगाया जा सकता है। हालांकि, छोटे व्यापारियों को यूपीआई भुगतान से लाभ मिलता रहेगा। उपयोगकर्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे बिना किसी शुल्क के धन हस्तांतरण कर सकेंगे।
निष्कर्ष
यूपीआई लेनदेन शुल्क एक जटिल मुद्दा है, लेकिन आम उपयोगकर्ताओं के लिए अभी कोई बदलाव नहीं है। यूपीआई के माध्यम से किए जाने वाले सामान्य लेनदेन मुफ्त रहेंगे। नए नियम मुख्य रूप से बड़े व्यापारियों और पीपीआई लेनदेन पर केंद्रित हैं। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए, सरकार और नियामक यूपीआई को सुलभ और किफायती बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। उपभोक्ताओं को अपने दैनिक लेनदेन के लिए यूपीआई का उपयोग करना जारी रख सकते हैं, बिना किसी अतिरिक्त लागत के चिंता किए।